Skip to main content

Constitution Day : बीकानेर के ठाकुर जसवंतसिंह ने संविधान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, इस शहर में उनके नाम कोई स्मारक तक नहीं!

RNE Bikaner

  • संविधान की बात होने पर बीकानेर के दाऊदसर हाउस का टाइपराइटर आता है, बीकानेर के जिन ठाकुर जसवंतसिंह ने संविधान की बारीकियां लिखीं, उनको अपने ही शहर-प्रदेश ने भुला दिया!

धीरेन्द्र आचार्य

09 मार्च 2024 को बीकानेर की महाराजा गंगासिंह यूनिवर्सिटी में आयोजन हुआ ‘हमारा संविधान-हमारा सम्मान’ और तत्कालीन सीजेआई डी.वाई.चंद्रचूड़सिंह आये। यह पहला मौका था जब भारत के चीफ जस्टिस बीकानेर में थे। मंच पर केन्द्रीय कानून राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुनराम मेघवाल मौजूद रहे। यह भी भारत के इतिहास में बाबा साहब डा.भीराम आंबेडकर के बाद पहला मौका है जब किसी दलित को कानून मंत्री बनाया गया। बीकानेर के लिए इसलिये भी महत्वपूर्ण क्योंकि अर्जुनराम मेघवाल यहीं के सांसद हैं।

इस मौके पर बीकानेर ही नहीं राजस्थानवासियों के लिए कए गर्व की बात भी मंच से कही गई। खुद सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़सिंह ने कहा, बीकानेर के ठाकुर जसवंतसिंह का संविधान बनाने में महत्वपूर्ण योेगदान था। इतना ही नहीं इस मौके पर लगी एक प्रदर्शनी में वह रेमिंगटन टाइपराइटर भी रखा गया जिससे संविधान की बारीकियां लिखी गई या वे सैकड़ों पत्र ड्राफ्ट हुए जो संविधान की रूपरेखा के लिए लिखे गये। ठाकुर जसवंतसिंह के घर दाऊदसर हाउस से लाया गया इस रेमिंगटन टापइराइटर सबके आकर्षण का केन्द्र भी रहा।

इस समारोह में शहर के खास और आम सभी लोगों को आमंत्रित किया गया था। बारी जब केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल के बोलने की आई तो उन्होंने भी सामने बैठे लोगों को बताया कि संविधान निर्माण में ठाकुर जसवंतसिंह की भूमिका थी। अर्जुनराम की भाषण शैली संवदात्मक है और सामने बैठे जाने-पहचाने चेहरो के नाम लेकर सीधा पब्लिक कनेक्ट करते हैं। इस दौरान भी उन्होंने ठाकुर जसवंतसिंह के योगदान का जिक्र करते हुए कहा, उनके परिवार से यहां लोग मौजूद हैं। हॉल में नजरें घूमी, कहीं कोई नजर नहीं आया। मेघवाल बोले, शायद कोई यहां नहीं है। महावीरसिंहजी दाऊदसर हो सकते थे।

फाइल फोटो।

rudranewsexpress.in ने उस आयोजन के तुरंत बाद ठाकुर जसवंतसिंह दाऊदसर के भतीजे महावीरसिंह दाऊदसर से जब इस बारे में जानकारी ली तो उन्हांेने बताया ‘पिछले दो-तीन दिनों से आयोजन से जुड़े लोग लगातार आ रहे थे। उन्होंने हमारे यहां रखा टाइपराइटर, तत्कालीन दस्तावेज के फोटोग्राफ, संविधान निर्माण में सहयोगी ठाकुरसाहब और उनकी साथ बीएचयू से आये स्टूडेंट्स की टीम के फोटोग्राफ आदि मांगे वो हमने मुहैया करवा दिये। आयोजकों ने उनके परिवार यानी हमें आमंत्रित नहीं किया। अगर बुलाते तो जरूर जाते।’

हालांकि महावीरसिंहजी दाऊदसर ने यह बात बगैर लाग-लपेट कही लेकिन इसमें एक छिपा हुआ दर्द जरूर नजर आ रहा था। यह दर्द अकेले इस परिवार ही नहीं बल्कि समूचे बीकानेर और राजस्थान का हो सकता है। वो यह कि ‘जिन लोगों ने हमें संविधान दिया है उनमें अपनी भूमिका निभाने वालों को अपने ही शहर-प्रदेश में हम भुला बैठे हैं।’ जब संविधान दिवस पर यह बात करें तो बीकानेर शहर में उस ठाकुर जसवंतसिंह के नाम पर कोई स्मारक नहीं है जिन्होंने सौ-सौ रातें अपने साथियों के साथ जागकर देश को सुशासन देने वाली इस किताब को आकार देने में सहयोग किया।

क्या लॉ यूनिवर्सिटी या लॉ कॉलेज संविधान के सहयोगी को समर्पित नहीं हो सकते!

एक बात यह भी उठत है कि संविधान बनाने में सहयोगी जसवंतसिंह के नाम पर आखिर क्या हो सकता है! हालांकि अरसे पहले एक मांग सामने आई थी कि बीकानेर मंे लॉ कॉलेज या लॉ यूनिवर्सिटी ठाकुर जसवंतसिंह के नाम हो सकती है। इस मसले पर एक प्रतिनिधिमंडल ने सरकार ने उच्चाधिकारियों को ज्ञापन भी दिया। भाजपा नेता और बीकानेर के पूर्व अध्यक्ष अखिलेशप्रतापसिंह इसकी पुष्टि करते हैं। वे कहते हैं, ऐसा प्रस्ताव या मांग रखी जरूर गई है। फिर सरकारों ने इस ओर ध्यान क्यों नहीं दिया? सवाल का जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है।


ठाकुर जसवंतसिंह की कहानी उनके भतीजे महावीरसिंह दाऊदसर की जुबानी :

ठाकुर जसवंतसिंह के भतीजे महावीरसिंह दाऊदसर बताते हैं, जागीरदार कर्नल पृथ्वीसिंह तंवर के पुत्र जसवंतसिंह बीकानेर रियासत के प्रधानमंत्री रहे। राजतंत्र में जिम्मेदारी निभाने के साथ ही उन्होंने लोकतंत्र की स्थापना में भी भूमिका निभाई। वे संविधान निर्मात्री सभा में शामिल रहे। वर्ष 1950-51 में बनी भारत की अस्थायी संसद के सांसद थे। इतना ही नहीं राजस्थान में बने पहले गैर निर्वाचित मंत्रिमंडल में वित्तमंत्री रहे। इसके बाद पहले चुनाव में जीतकर राजस्थान विधानसभा के पहले नेता प्रतिपक्ष भी रहे। ठाकुर जसवंतसिंह ने गोलमेज सम्मेलन में भी भाग लिया था।